विज्ञान एवं गणित की शाखाएँ: एक विस्तृत अध्ययन
विषय-सूची
अध्याय 4: विज्ञान एवं गणित की शाखाएँ (Unit 4: Branches of Science & Mathematics)
परिचय: विज्ञान और गणित विशाल ज्ञान के भंडार हैं। इन्हें समझने और व्यवस्थित करने के लिए इन्हें विभिन्न शाखाओं में बाँटा गया है। यह अध्याय विज्ञान (जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान) और गणित (अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति) की प्रमुख शाखाओं का अवलोकन प्रस्तुत करेगा। साथ ही, यह गणितीय भाषा का विज्ञान में उपयोग, दैनिक जीवन में इनके अनुप्रयोग और भारत में इनके ऐतिहासिक विकास पर प्रकाश डालेगा।
4.1 जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं रसायन विज्ञान के क्षेत्र (Domains of Biology, Physics & Chemistry)
विज्ञान की ये तीनों प्रमुख शाखाएँ प्रकृति और ब्रह्मांड को समझने के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित हैं:
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जीव विज्ञान (Biology): जीवन का विज्ञान।
- केंद्रित क्षेत्र: जीवित प्राणियों (पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव) की संरचना, कार्यप्रणाली, विकास, वितरण, वर्गीकरण, पारस्परिक क्रियाएँ और पर्यावरण के साथ संबंध।
- प्रमुख उपशाखाएँ:
- वनस्पति विज्ञान (Botany): पौधों का अध्ययन।
- प्राणि विज्ञान (Zoology): जंतुओं का अध्ययन।
- कोशिका विज्ञान (Cytology): कोशिका की संरचना एवं कार्य।
- ऊतक विज्ञान (Histology): ऊतकों का अध्ययन।
- कार्यिकी (Physiology): जीवों की कार्यप्रणाली (श्वसन, पाचन, उत्सर्जन आदि)।
- आनुवंशिकी (Genetics): आनुवंशिकता एवं जैविक विविधता का अध्ययन।
- परिस्थितिकी (Ecology): जीवों का पर्यावरण के साथ संबंध।
- विकासवादी जीव विज्ञान (Evolutionary Biology): जीवन के उद्भव और विकास का अध्ययन।
- सूक्ष्म जीव विज्ञान (Microbiology): सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, वायरस, फंजाई) का अध्ययन।
- जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology): जैविक प्रक्रियाओं का प्रौद्योगिकी में उपयोग।
- पद्धति: अवलोकन, प्रयोग (इन विट्रो, इन विवो), वर्गीकरण, तुलनात्मक अध्ययन।
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भौतिक विज्ञान (Physics): द्रव्य (पदार्थ), ऊर्जा और उनकी परस्पर क्रियाओं का विज्ञान।
- केंद्रित क्षेत्र: ब्रह्मांड की मौलिक शक्तियाँ (गुरुत्वाकर्षण, विद्युत-चुंबकत्व, नाभिकीय बल), गति, ऊर्जा, बल, प्रकाश, ध्वनि, ताप, विद्युत, चुंबकत्व, परमाणु संरचना और ब्रह्मांड की उत्पत्ति एवं विकास।
- प्रमुख उपशाखाएँ:
- शास्त्रीय यांत्रिकी (Classical Mechanics): न्यूटन के नियम, गति, बल, ऊर्जा (मैक्रोस्कोपिक वस्तुएँ)।
- विद्युत चुंबकत्व (Electromagnetism): विद्युत, चुंबकत्व और उनकी क्रियाएँ।
- ऊष्मागतिकी (Thermodynamics): ऊष्मा, ताप, ऊर्जा का रूपांतरण और उसके नियम।
- प्रकाशिकी (Optics): प्रकाश के गुण और व्यवहार।
- ध्वनि विज्ञान (Acoustics): ध्वनि का अध्ययन।
- आधुनिक भौतिकी (Modern Physics):
- क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics): परमाणु और उपपरमाण्विक कणों का व्यवहार।
- सापेक्षता सिद्धांत (Theory of Relativity): अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष-समय का सिद्धांत।
- नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics): नाभिक की संरचना और क्रियाएँ।
- खगोल भौतिकी (Astrophysics): खगोलीय पिंडों और ब्रह्मांड का भौतिक अध्ययन।
- पद्धति: गणितीय मॉडलिंग, प्रयोग, अवलोकन, सिद्धांत निर्माण। गणित पर निर्भरता सर्वाधिक।
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रसायन विज्ञान (Chemistry): द्रव्य (पदार्थ) की संरचना, संघटन, गुणों और उसमें होने वाले परिवर्तनों (रासायनिक अभिक्रियाओं) का विज्ञान।
- केंद्रित क्षेत्र: तत्वों, यौगिकों, परमाणुओं, अणुओं, आयनों की संरचना; उनके गुणों और परिवर्तनों के नियम; ऊर्जा परिवर्तन।
- प्रमुख उपशाखाएँ:
- अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry): अकार्बनिक यौगिकों (सामान्यतः कार्बन रहित, लेकिन अपवाद हैं) का अध्ययन।
- कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry): कार्बन और हाइड्रोजन के मुख्यतः यौगिकों (हाइड्रोकार्बन और उनके व्युत्पन्न) का अध्ययन।
- भौतिक रसायन (Physical Chemistry): रासायनिक प्रणालियों के भौतिक सिद्धांतों का अध्ययन (ऊष्मागतिकी, सांख्यिकीय यांत्रिकी, क्वांटम रसायन, गतिजी)।
- विश्लेषणात्मक रसायन (Analytical Chemistry): पदार्थों की पहचान, संघटन और संरचना का विश्लेषण करने की विधियाँ (गुणात्मक और मात्रात्मक)।
- जैव रसायन (Biochemistry): जीवित जीवों में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन (जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान का संगम)।
- पर्यावरण रसायन (Environmental Chemistry): पर्यावरण में होने वाले रासायनिक प्रक्रियाओं और प्रदूषकों का अध्ययन।
- उद्योगिक रसायन (Industrial Chemistry): रासायनिक उत्पादों के उत्पादन की प्रक्रियाओं का अध्ययन।
- पद्धति: प्रयोग (प्रयोगशाला में), गुणात्मक/मात्रात्मक विश्लेषण, स्पेक्ट्रोस्कोपी, मॉडलिंग। भौतिकी और गणित पर आधारित, जीव विज्ञान से जुड़ा।
* अंतर्संबंध: ये शाखाएँ पूर्णतः अलग नहीं हैं। जैव भौतिकी (Biophysics), जैव रसायन (Biochemistry), रासायनिक भौतिकी (Chemical Physics) जैसे अंतरविषयक क्षेत्र इनके बीच के संबंधों को दर्शाते हैं।
4.2 अंकगणित, बीजगणित एवं ज्यामिति के क्षेत्र (Domains of Arithmetic, Algebra, Geometry)
गणित की ये तीन मूलभूत शाखाएँ संख्याओं, प्रतीकों और आकृतियों के अध्ययन के विभिन्न आयाम प्रस्तुत करती हैं:
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अंकगणित (Arithmetic): संख्याओं की गणना और उन पर मौलिक संक्रियाओं का विज्ञान।
- केंद्रित क्षेत्र: संख्याएँ (प्राकृतिक, पूर्णांक, भिन्न, दशमलव), उन पर मौलिक संक्रियाएँ (जोड़, घटाव, गुणा, भाग), अनुपात-समानुपात, प्रतिशत, लाभ-हानि, औसत, सरल ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज।
- महत्व: दैनिक जीवन में सर्वाधिक उपयोगी गणित की शाखा। व्यावहारिक समस्याओं (खरीदारी, बजट, मापन, समय गणना) को हल करने का आधार। अन्य सभी गणितीय शाखाओं का मूल।
- उदाहरण: बाजार में सामान का मूल्य जोड़ना, मासिक बचत की गणना, दूरी-समय-गति के सूत्रों का उपयोग।
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बीजगणित (Algebra): संख्याओं के स्थान पर चिह्नों (प्रतीकों/चरों) का उपयोग करने वाली गणित की शाखा।
- केंद्रित क्षेत्र: चर (x, y, z...), अचर, व्यंजक (Expressions), समीकरण (Equations), सूत्र, बहुपद (Polynomials), घातांक और करणी, समुच्चय सिद्धांत, अनुक्रम और श्रेणी, रैखिक और द्विघात समीकरण, फलन (Functions), असमिकाएँ (Inequalities)।
- महत्व: सामान्यीकरण की क्षमता प्रदान करता है। जटिल समस्याओं को संक्षिप्त और सामान्य समीकरणों द्वारा हल करने में सक्षम बनाता है। विज्ञान (विशेषकर भौतिकी), इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र और कंप्यूटर विज्ञान का मूल आधार।
- उदाहरण: गति के समीकरण (s = ut + ½ at²), लाभ-हानि का सामान्य सूत्र, दो चरों में रैखिक समीकरणों का आलेखीय हल।
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ज्यामिति (Geometry): आकृतियों, उनके आकार, आमाप, स्थिति और गुणों का अध्ययन।
- केंद्रित क्षेत्र:
- यूक्लिडीय ज्यामिति (Euclidean Geometry): समतल पर बिंदु, रेखा, कोण, त्रिभुज, चतुर्भुज, वृत्त, बहुभुज जैसी आकृतियों के गुण। सर्वांगसमता, समरूपता, क्षेत्रफल, आयतन, पाइथागोरस प्रमेय आदि।
- निर्देशांक ज्यामिति (Coordinate Geometry): समतल या अंतरिक्ष में बिंदुओं को निर्देशांकों द्वारा निरूपित करना और उनका बीजगणितीय अध्ययन करना। ज्यामिति और बीजगणित का संगम।
- त्रिकोणमिति (Trigonometry): त्रिभुजों में भुजाओं और कोणों के बीच संबंधों का अध्ययन (sine, cosine, tangent आदि)। खगोल विज्ञान, भौतिकी, इंजीनियरिंग में व्यापक उपयोग।
- घन ज्यामिति (Solid Geometry): त्रि-आयामी आकृतियाँ (घन, गोला, बेलन, शंकु, पिरामिड)।
- महत्व: अंतरिक्षीय समझ और दृश्यीकरण क्षमता विकसित करती है। वास्तुकला, डिजाइन, कला, इंजीनियरिंग, भूगोल, खगोल विज्ञान के लिए अनिवार्य। तर्क और प्रमाण पर आधारित सोच को बढ़ावा देती है।
- उदाहरण: भूमि का क्षेत्रफल नापना, इमारत का डिजाइन बनाना, नक्शा पढ़ना, ग्रहों की कक्षाओं की गणना।
- केंद्रित क्षेत्र:
* अंतर्संबंध: ये शाखाएँ एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हैं। अंकगणित बीजगणित का आधार है। बीजगणित ज्यामिति (विशेषकर निर्देशांक ज्यामिति) को व्यक्त करने का साधन है। त्रिकोणमिति ज्यामिति और बीजगणित दोनों का उपयोग करती है।
4.3 गणितीय भाषा एवं शब्दावली की विज्ञान में समझ (Understanding of Mathematical Language & Terminology in Science)
विज्ञान, विशेष रूप से भौतिकी और रसायन विज्ञान, गणितीय भाषा पर बहुत अधिक निर्भर करता है। यह भाषा सटीकता, संक्षिप्तता और सार्वभौमिक समझ प्रदान करती है।
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गणितीय भाषा के तत्व:
- प्रतीक (Symbols): `+`, `-`, `×`, `÷`, `=`, `<`, `>`, `π`, `∑`, `∫`, `√`, `θ`, `α`, `β`, `∞` आदि। ये संक्रियाओं, संबंधों और विशिष्ट स्थिरांकों को संक्षिप्त में दर्शाते हैं।
- चर (Variables): `x`, `y`, `z`, `t`, `v`, `a` आदि। ये अज्ञात मात्राओं या परिवर्तनशील मात्राओं का प्रतिनिधित्व करते हैं (जैसे: समय `t`, वेग `v`, त्वरण `a`)।
- सूत्र (Formulae/Equations): गणितीय संबंधों को संक्षिप्त और सटीक ढंग से व्यक्त करने वाले समीकरण (जैसे: न्यूटन का द्वितीय नियम `F = ma`, आइंस्टीन का द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण `E = mc²`, आदर्श गैस समीकरण `PV = nRT`)।
- फलन (Functions): एक राशि का दूसरी राशि पर निर्भरता (`y = f(x)`), जैसे तापमान का समय पर निर्भरता।
- ग्राफ (Graphs): आँकड़ों या फलनों के संबंधों का दृश्य निरूपण। रेखांकन, स्तंभ आलेख, पाई चार्ट आदि।
- सांख्यिकीय शब्दावली: माध्य (Mean), माध्यिका (Median), बहुलक (Mode), मानक विचलन (Standard Deviation), सहसंबंध (Correlation) - प्रयोगों के आँकड़ों के विश्लेषण के लिए आवश्यक।
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विज्ञान में महत्व:
- सटीक अभिव्यक्ति: गणितीय समीकरण प्राकृतिक नियमों को शब्दों की तुलना में अधिक सटीक और असंदिग्ध ढंग से व्यक्त करते हैं।
- परिमाणात्मक विश्लेषण: घटनाओं को संख्यात्मक रूप से मापने, तुलना करने और भविष्यवाणी करने में सक्षम बनाता है।
- सिद्धांत निर्माण: गणितीय मॉडल वैज्ञानिक सिद्धांतों को विकसित करने और उनकी जाँच करने का आधार प्रदान करते हैं।
- सार्वभौमिक भाषा: गणितीय समीकरण भाषा की बाधाओं को पार करके वैज्ञानिक ज्ञान को वैश्विक स्तर पर संप्रेषित करने में मदद करते हैं।
- जटिल संबंधों की व्याख्या: कई चरों के बीच जटिल संबंधों को सूत्रों और ग्राफों के माध्यम से समझना संभव होता है।
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उदाहरण:
- भौतिकी: गति के समीकरण (`v = u + at`), गुरुत्वाकर्षण का नियम (`F = G(m₁m₂)/r²`), तरंग समीकरण।
- रसायन विज्ञान: रासायनिक अभिक्रियाओं के स्टोइकियोमेट्री समीकरण (`2H₂ + O₂ → 2H₂O`), दर नियम।
- जीव विज्ञान: जनसंख्या वृद्धि मॉडल, आनुवंशिक संभाव्यता, एंजाइम क्रियाविधि की गतिजी।
समझ आवश्यक: विज्ञान को गहराई से समझने के लिए इस गणितीय शब्दावली और भाषा को समझना अनिवार्य है। यह वैज्ञानिक साक्षरता का एक मूलभूत घटक है।
4.4 दैनिक जीवन में विज्ञान एवं गणित का क्रियान्वयन (Implementation of Science & Mathematics in daily life)
विज्ञान और गणित हमारे रोजमर्रा के जीवन के हर पहलू में व्याप्त हैं:
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घर पर (At Home):
- रसायन विज्ञान: खाना पकाना (रासायनिक अभिक्रियाएँ), सफाई करना (डिटर्जेंट का कार्य), सौंदर्य प्रसाधन, दवाइयाँ।
- भौतिक विज्ञान: बिजली के उपकरण (प्रकाश, पंखा, फ्रिज), पानी की आपूर्ति (दाब), गैस स्टोव (दहन), वास्तुकला (बल, स्थायित्व)।
- जीव विज्ञान: पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य, बागवानी, खाद्य संरक्षण।
- गणित: बजट बनाना, खरीदारी (मूल्य, छूट, जीएसटी गणना), खाना बनाने में मापन (अनुपात), समय प्रबंधन, घर का नक्शा बनाना/समझना।
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यातायात एवं परिवहन (Transportation):
- भौतिक विज्ञान: वाहनों का डिजाइन (यांत्रिकी, वायुगतिकी), इंजन (दहन, ऊष्मागतिकी), नेविगेशन (GPS - ज्यामिति, त्रिकोणमिति)।
- रसायन विज्ञान: ईंधन (पेट्रोल, डीजल), स्नेहक (लुब्रिकेंट्स)।
- गणित: दूरी-समय-गति गणना, यात्रा खर्च, ईंधन दक्षता (माइलेज), मार्ग निर्धारण।
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संचार एवं प्रौद्योगिकी (Communication & Technology):
- भौतिक विज्ञान: मोबाइल फोन (विद्युत-चुंबकत्व, तरंगें), इंटरनेट, कंप्यूटर (अर्धचालक, क्वांटम यांत्रिकी), कैमरा (प्रकाशिकी)।
- गणित: कंप्यूटर प्रोग्रामिंग (तर्क, अल्गोरिदम), डेटा संग्रहण और संचारण (बाइनरी सिस्टम), क्रिप्टोग्राफी (सुरक्षा), डेटा विश्लेषण।
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स्वास्थ्य एवं चिकित्सा (Health & Medicine):
- जीव विज्ञान: शरीर क्रिया विज्ञान, रोगों का कारण (विषाणु, जीवाणु), उपचार (दवाएँ, सर्जरी)।
- रसायन विज्ञान: दवाओं का संश्लेषण, शरीर में रासायनिक क्रियाएँ, रोग निदान परीक्षण।
- भौतिक विज्ञान: एक्स-रे, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, लेजर सर्जरी।
- गणित: दवा की खुराक की गणना, चिकित्सा आँकड़ों का विश्लेषण, महामारी मॉडलिंग, बीएमआई गणना।
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वित्त एवं वाणिज्य (Finance & Commerce):
- गणित: बैंकिंग (ब्याज गणना - सरल/चक्रवृद्धि), लेखांकन, शेयर बाजार विश्लेषण, बीमा, कर गणना, लागत-लाभ विश्लेषण, सांख्यिकीय भविष्यवाणियाँ।
- विज्ञान: अर्थशास्त्र में मॉडलिंग, वस्तुओं के उत्पादन में वैज्ञानिक प्रक्रियाएँ।
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मनोरंजन एवं खेल (Entertainment & Sports):
- विज्ञान: संगीत वाद्ययंत्र (ध्वनि विज्ञान), सिनेमा (प्रकाशिकी, ध्वनि), खेल उपकरण डिजाइन (भौतिकी - गेंद का गतिजी)।
- गणित: खेल रणनीति, स्कोर गणना, प्रायिकता (जुआ, क्रिकेट में स्ट्राइक रेट), कंप्यूटर गेम्स प्रोग्रामिंग, एनीमेशन।
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पर्यावरण एवं मौसम (Environment & Weather):
- विज्ञान: मौसम पूर्वानुमान (भौतिकी, रसायन), जलवायु परिवर्तन अध्ययन, प्रदूषण नियंत्रण तकनीक, जल शुद्धिकरण।
- गणित: मौसम डेटा विश्लेषण, जलवायु मॉडलिंग, प्रदूषण स्तर मापन और पूर्वानुमान।
निष्कर्ष: विज्ञान और गणित के बिना आधुनिक सभ्यता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ये हमारे जीवन को सुविधाजनक, सुरक्षित और समझने योग्य बनाते हैं।
4.5 भारत में विज्ञान एवं गणित: ऐतिहासिक संदर्भ (Science & Mathematics in India: The historical context)
भारत विज्ञान और गणित की समृद्ध परंपरा का घर रहा है। प्राचीन और मध्यकाल में यहाँ हुए कुछ प्रमुख योगदान:
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प्राचीन काल (लगभग 1500 BCE - 600 CE):
- वैदिक काल: वैदिक साहित्य (विशेषकर शुल्ब सूत्र) में ज्यामितीय सिद्धांत, यज्ञ वेदियों के निर्माण के लिए नियम। पाइथागोरस प्रमेय का उल्लेख। बड़ी संख्याओं (जैसे 'शंख', 'पद्म') और शून्य की अवधारणा का बीजारोपण।
- जैन गणितज्ञ: अनंत की अवधारणा, क्रमचय-संचय (Permutations & Combinations) पर कार्य।
- बौद्ध विद्वान: तर्कशास्त्र और विश्लेषणात्मक चिंतन का विकास।
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शास्त्रीय काल (लगभग 500 CE - 1200 CE): भारतीय विज्ञान और गणित का स्वर्ण युग।
- आर्यभट्ट (476 - 550 CE):
- 'आर्यभटीय' ग्रंथ की रचना।
- स्पष्ट रूप से शून्य का प्रयोग और स्थानीय मान पद्धति का विस्तार।
- `π` का अनुमानित मान (3.1416) दिया।
- पृथ्वी की गोलाकारता और अपनी धुरी पर घूर्णन का प्रतिपादन।
- ग्रहणों का वैज्ञानिक कारण बताया।
- त्रिकोणमितीय फलनों (ज्या - sine, कोटिज्या - cosine) की अवधारणा दी।
- ब्रह्मगुप्त (598 - 668 CE):
- 'ब्रह्मस्फुट सिद्धांत' ग्रंथ।
- शून्य के साथ अंकगणितीय संक्रियाओं (जोड़, घटाव, गुणा) के नियम दिए।
- ऋणात्मक संख्याओं का प्रयोग और उनके नियम।
- द्विघात समीकरणों का हल।
- खगोलीय गणनाएँ।
- भास्कराचार्य II (1114 - 1185 CE):
- 'सिद्धांत शिरोमणि' (जिसमें 'लीलावती' - गणित, और 'बीजगणित' नामक ग्रंथ शामिल)।
- चक्रीय विधि (Cyclic Method) से द्विघात समीकरणों का हल।
- कलन (Calculus) की ओर प्रारंभिक कदम - 'अनंत के साथ संक्रिया' का विचार।
- गुरुत्वाकर्षण के बारे में जानकारी।
- ग्रहों की गति की सटीक गणना।
- आर्यभट्ट (476 - 550 CE):
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चिकित्सा (Medicine):
- चरक (लगभग 1वीं-2वीं शताब्दी CE): 'चरक संहिता' - आयुर्वेद का प्रमुख ग्रंथ, आहार और निवारक चिकित्सा पर जोर।
- सुश्रुत (लगभग 600 BCE): 'सुश्रुत संहिता' - शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का विस्तृत वर्णन, 300 से अधिक शल्य प्रक्रियाएँ और 120 से अधिक शल्य उपकरणों का उल्लेख। प्लास्टिक सर्जरी का प्रारंभिक रूप।
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धातु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Metallurgy & Technology):
- दिल्ली का लौह स्तंभ (लगभग 400 CE): संक्षारण रहित लोहे की उच्च कोटि की प्रौद्योगिकी का उदाहरण।
- जस्ता निष्कर्षण: जावर खानों (राजस्थान) में मध्यकाल में शुद्ध जस्ता प्राप्त करने की विकसित विधि।
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मध्यकालीन काल (1200 CE के बाद):
- केरल स्कूल (14वीं - 16वीं शताब्दी): माधव (माधवाचार्य) और उनके अनुयायी (नीलकंठ सोमयाजी आदि)।
- अनंत श्रेणी के विस्तार द्वारा `π` का मान ज्ञात करना।
- त्रिकोणमितीय फलनों (ज्या, कोज्या) के लिए श्रेणी विस्तार प्राप्त करना - जो आधुनिक कलन (Calculus) की नींव के रूप में देखे जा सकते हैं।
- गणितीय प्रेरण की अवधारणा का उपयोग।
- केरल स्कूल (14वीं - 16वीं शताब्दी): माधव (माधवाचार्य) और उनके अनुयायी (नीलकंठ सोमयाजी आदि)।
महत्व एवं विरासत:
- भारत का सबसे बड़ा योगदान दशमलव संख्या पद्धति और शून्य का आविष्कार है, जिसने आधुनिक गणित और विज्ञान की नींव रखी। यह ज्ञान अरबों के माध्यम से यूरोप पहुँचा।
- खगोल विज्ञान और गणित में अत्यधिक उन्नत गणनाएँ की गईं।
- आयुर्वेद और शल्य चिकित्सा में प्राचीन भारत का ज्ञान अद्वितीय था।
- केरल स्कूल के कार्य ने कलन के विकास का मार्ग प्रशस्त किया, हालाँकि उनका यूरोप में उस समय प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित था।
- यह ऐतिहासिक संदर्भ भारत की वैज्ञानिक चिंतन परंपरा को दर्शाता है और आधुनिक भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
अध्याय का सारांश: विज्ञान की तीन प्रमुख शाखाएँ (जीव, भौतिक, रसायन) और गणित की तीन मूलभूत शाखाएँ (अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति) प्राकृतिक जगत और अमूर्त संबंधों को समझने के विविध आयाम प्रस्तुत करती हैं। विज्ञान में गणितीय भाषा और शब्दावली सटीकता और विश्लेषण की कुंजी है। ये दोनों विषय हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू में साकार रूप में उपस्थित हैं, जिससे हमारा जीवन सुविधाजनक, सुरक्षित और समझने योग्य बनता है। भारत की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत - शून्य और दशमलव पद्धति के आविष्कार से लेकर आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य, चरक, सुश्रुत और केरल स्कूल के गणितज्ञों के अद्वितीय योगदान - विश्व ज्ञान कोष में भारत के अमूल्य अंशदान को रेखांकित करती है। यह अध्याय विज्ञान और गणित की विविधता, अन्योन्याश्रयता, व्यावहारिक उपयोगिता और ऐतिहासिक गौरव को समग्र रूप से प्रस्तुत करता है।